मैंने अपनी पहली हिन्दी पोस्ट के लिए नानो कार फैक्ट्री केस निरस्त को चुना, क्योंकि ये वह मुद्दा है जो मेरे दिल के काफी करीब था। मैं वैचारिक रुप से स्वयम को मार्क्सवादी विचारधारा का प्रबल विरोधी मानता हूँ। परन्तु ये एक ऐसा मुद्दा था जहाँ पर पश्चिम बंगाल कि मार्क्सवादी सरकार ने जमीनी सच्चाई को स्वीकार करते हुए निर्णय लिया था। ये निर्णय यद्यपि विपक्षी पार्टियों कि विचारधारा से मेल खाता था फिर भी सिर्फ विरोध करने कि खातिर उन लोगों ने सिंगुर में विरोध शुरू कर दिया।
यहाँ पर भारत कि सभी राजनैतिक पार्टियों कि असलियत जाहिर होती है कि उन्हें लोगो के फायदे नुकसान से ज्यादा अपने राजनैतिक नफे नुकसान से मतलब होता है। खास तौर पर अगर विरोधी पार्टी अगर कोई अच्छा काम भी करती है तो उसका श्रेय भी उन्हें देने मैं इन्हें कष्ट होता है।
खैर अब जब कोलकता हाई कोर्ट ने टाटा के प्लांट को हरी झंडी दिखा दी है तो मैं रतन टाटा, टाटा मोटर्स, एवं पश्चिम बंगाल सरकार को बधाई देता हूँ कि इतने विरोध के बावजूद भी वो अपने सही निर्णय पर टिके रहे और अंतत एक नए युग कि शुरुआत के सूत्रधार बने।
विरोधी त्रिनामूल कांग्रेस को भी मेरी सलाह है कि अगर कोई सरकार जनता के फायदे का कोई निर्णय लेटी है तो उसे सराहने मैं कोई संकोच नहीं होना चाहिऐ.
Friday, 18 January 2008
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment